इश्क
दिव्या दुबे"नेह"
इश्क़ करने से रोका गया था मुझे,
जान ले लेगा सबने कहा था मुझे।
दिल ये मासूम था दिल ये नादान था,
इश्क़ की वादियों से ये अनजान था।
चोट पर चोट हँस-हँसके खाता रहा,
अपनी दुनिया किसी पर लुटाता रहा।
दिल की ख्वाहिश तो हद से गुजरने की है,
इश्क़ में दिल की हसरत तो मरने की है।
रोकने से किसी के ये रुकता नहीं,
इश्क़ ऐसा कलंदर है झुकता नहीं।
झूठ कहती है दुनिया के बर्बाद है,
इश्क़ आबाद था,इश्क़ आबाद है।।।।।
दिव्या दुबे"नेह"
Bemetara, Chhattīsgarh
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