कैसे कैसे लोग
प्रतिभा चौहान
लखनऊ (Lucknow)उत्तर प्रदेश
कितने खट्टे ? मीठे लोग
जितने सच्चे तीखे लोग
अंदर कितने चुप- चुप है
ये बैठे हुए गुम सुम लोग
आवारा कहते थक गए
मुझे ये वो और तुम लोग
सारा जहाँ पागल खाना
सारे लोग , दीवाने लोग
वक्त वक्त पे परखे मुझको
मेरे अपने और बेगाने लोग
मेरे लहजों से उलझे रहते
कब शब्दों को पहचाने लोग
सफेद पोश की क्या कहें
सच्चे झूठे और फीके लोग
उनकी खसलत बोलो जी
जो मयखाने जा पीते लोग
जाति धर्म और क्या क्या
अच्छे - अच्छे सस्ते लोग
अंदर की बात तुम क्या जानो
कितने हंसते हैं ? हंसते लोग
सब के सब सियाने प्रतिभा
और हम ठहरे दीवाने लोग
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